रामपुर (Rampur) उत्तर प्रदेश के रहीमाबाद-रोहिलखंड क्षेत्र में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जिसका इतिहास समृद्ध और गौरवशाली रहा है। यह शहर अपनी संस्कृति, शासकों और विशेषकर रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के लिए प्रसिद्ध है।
रामपुर का प्रारंभिक इतिहास
रामपुर का इतिहास मध्यकालीन भारत से जुड़ा हुआ है। 18वीं शताब्दी से पहले यह क्षेत्र रोहिला पठानों के अधीन था। रोहिला सरदारों ने इस क्षेत्र पर शासन किया, जिसे उस समय “रोहिलखंड” कहा जाता था।
रामपुर रियासत की स्थापना
रामपुर रियासत की स्थापना 1748 ई. में नवाब फैजुल्ला खान ने की थी। वह एक रोहिला पठान नेता थे और उन्होंने अफगानिस्तान से आकर यहाँ अपना शासन स्थापित किया। उन्होंने रामपुर को अपनी राजधानी बनाया और एक स्वतंत्र रियासत के रूप में इसकी नींव रखी।
अंग्रेजों के साथ संबंध
18वीं शताब्दी के अंत में, रामपुर के नवाबों ने अंग्रेजों के साथ संधि कर ली और ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन एक सहायक रियासत बन गए। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, रामपुर के नवाब यूसुफ अली खान ने अंग्रेजों का साथ दिया, जिसके बदले में उन्हें कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हुए।
रामपुर की सांस्कृतिक विरासत
रामपुर अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें शामिल हैं:
- रामपुर रज़ा लाइब्रेरी – 1774 में स्थापित, यह पुस्तकालय दुर्लभ पांडुलिपियों, चित्रों और इस्लामिक ग्रंथों का खजाना है।
- रामपुर का किला (रामपुर फोर्ट) – नवाबी शासन की भव्यता का प्रतीक।
- संगीत और शायरी – रामपुर उस्तादों और कवियों का केंद्र रहा है, जहाँ हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत और उर्दू साहित्य को बढ़ावा मिला।
1947 के बाद रामपुर
भारत की आजादी के बाद, 1949 में रामपुर रियासत का भारतीय संघ में विलय हो गया और यह उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा बन गया। आज रामपुर एक जिला मुख्यालय है और अपने ऐतिहासिक धरोहर को संजोए हुए है।
रामपुर का इतिहास एक ऐसे शहर की गाथा है जहाँ राजनीतिक उथल-पुथल, सांस्कृतिक समृद्धि और शैक्षणिक विरासत का अनूठा मेल देखने को मिलता है।