शाहजहांपुर। 25 वर्षों से भूमि विवाद का निस्तारण न होने से परेशान महिला ने कलक्ट्रेट परिसर स्थित एसडीएम कार्यालय में ज्वलनशील पदार्थ छिड़कर आत्मदाह करने का प्रयास किया। जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारियों ने जैसे-तैसे माचिस व बोतल छीनकर महिला को डीएम के सामने पेश किया। उन्होंने 18 दिसंबर को प्रकरण का निस्तारण कराने का भरोसा दिया।
जलालाबाद हार चचाैरा गांव निवासी कुसुमा देवी शुक्रवार दोपहर बाद बोतल में ज्वलनशील पदार्थ लेकर कलक्ट्रेट स्थित एसडीएम कार्यालय में पहुंच गई। उनकी अनुपस्थिति में उसने जैसे ही ज्वलनशील पदार्थ सिर पर छिड़कना शुरू किया तो वहां अफरा-तफरी मच गई। कर्मचारियों ने बोतल छीन ली। नगर मजिस्ट्रेट प्रवेंद्र सिंह डीएम धर्मेंद्र प्रताप सिंह के पास लेकर गए।
क्या बोली कुसुमा देवी?
कुसुमा ने बताया कि पिता विद्याराम अपने पिता मुंशी लाल के इकलौते बेटे थे। विद्याराम की अपने पिता के जीवनकाल में ही मृत्यु हो गई थी। इसके बाद मुंशीलाल का भी निधन हो गया था। ऐसे में मुंशीलाल की पैतृक भूमि कुसुमा व उनकी बहन रूशमीला के नाम पर वरासत दर्ज हो गई थी लेकिन तब दोनों बहनें नाबालिग थी। आरोप है कि गांव के ही रामपाल ने उनकी मां शकुंतला देवी से बहला फुसलाकर विवाह कर लिया था।
कुसुमा ने बताया कि बालिग होने पर उनकी शादी करकोर गांव निवासी वेदराम से हो गई थी लेकिन हार चचौरा गांव में भूमि होने की वजह से यह दंपति वहीं रहकर खेती करने लगे। आरोप है कि 1996 में रामपाल ने उसके पति वेदराम की हत्या कर दी थी। इस प्रकरण में उसे सजा भी हुई थी। पति की हत्या के बाद कुसुमा अपनी ससुराल में रहने चली गई थी।
रामपाल पर आरोप
रामपाल ने जेल से छूटने के बाद अधिकारियों से साठगांठ कर उसकी जमीन को अपने नाम करवा लिया था। जलालाबाद में एसडीएम कोर्ट में इसको लेकर वाद भी दायर किया था( वर्ष 2015 में मंडलायुक्त के आदेश पर जलालाबाद से यह प्रकरण एसडीएम सदर कोर्ट के लिए स्थानांतरित करवा लिया था। यहां भी न्याय नहीं मिलने दिया जा रहा है।
22 नवंबर 2024 को कुसुमा ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर न्याय दिलाने की मांग की थी। न्याय न मिलने पर आत्मदाह की चेतावनीं भी दी थी लेकिन उसके बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। डीएम ने बताया कि इस प्रकरण में 18 दिसंबर को निर्णय होना है। महिला को इसके बारे में बता भी दिया गया है।