अमरोहा का इतिहास (History of Amroha in Hindi)
अमरोहा उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के पास स्थित एक प्राचीन शहर है, जिसका इतिहास हिंदू, मुस्लिम और ब्रिटिश काल से जुड़ा हुआ है। यह शहर अपनी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक इमारतों और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन काल में अमरोहा
- पौराणिक महत्व: कुछ मान्यताओं के अनुसार, अमरोहा का नाम महाभारत काल के राजा अम्बरीष से जुड़ा हुआ है, जिन्हें भगवान विष्णु का भक्त माना जाता है।
- बौद्ध एवं जैन प्रभाव: मौर्य और गुप्त काल में यह क्षेत्र बौद्ध और जैन धर्म का केंद्र रहा होगा, हालाँकि इसके स्पष्ट प्रमाण कम हैं।
मध्यकालीन इतिहास (मुस्लिम शासन काल)
- दिल्ली सल्तनत काल:
- 12वीं-13वीं शताब्दी में अमरोहा पर गुलाम वंश और बाद में खिलजी वंश का शासन रहा।
- सूफी संत शाह विलायत (13वीं सदी) यहाँ आए और उनके नाम पर एक दरगाह बनी, जो आज भी प्रसिद्ध है।
- मुगल काल:
- अकबर के समय में अमरोहा दिल्ली सूबे का हिस्सा था।
- औरंगजेब के शासनकाल में यहाँ कई मस्जिदें और मदरसे बने।
ब्रिटिश काल में अमरोहा
- 1857 की क्रांति: अमरोहा के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत में हिस्सा लिया।
- प्रशासनिक बदलाव: ब्रिटिश राज में इसे मुरादाबाद जिले का हिस्सा बना दिया गया।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व
- दरगाह शाह विलायत: यह एक प्रमुख सूफी तीर्थस्थल है।
- जामा मस्जिद: मुगलकालीन वास्तुकला का नमूना।
- हिंदू मंदिर: शहर में कई प्राचीन मंदिर भी हैं, जैसे काली माता मंदिर।
आधुनिक अमरोहा
- 1997 में अमरोहा को जिला घोषित किया गया।
- यहाँ की अर्थव्यवस्था कृषि, हस्तशिल्प और छोटे उद्योगों पर आधारित है।
अमरोहा का इतिहास भारत के गौरवशाली अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का सम्मिलन देखने को मिलता है।
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