बस्ती जिले का इतिहास (History of Basti in Hindi)
बस्ती उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला है, जिसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व रहा है। यह गोरखपुर मंडल के अंतर्गत आता है और सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। बस्ती का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है, जिसमें विभिन्न साम्राज्यों और संस्कृतियों का प्रभाव देखने को मिलता है।
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प्राचीन इतिहास
- बस्ती का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों और बौद्ध साहित्य में मिलता है। माना जाता है कि यह क्षेत्र कोसल राज्य का हिस्सा था।
- बौद्ध काल में यह क्षेत्र महत्वपूर्ण रहा, क्योंकि गौतम बुद्ध ने अपने प्रवचनों के दौरान इस क्षेत्र का भ्रमण किया था।
- मौर्य और गुप्त साम्राज्य के दौरान भी बस्ती एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र रहा।
मध्यकालीन इतिहास
- 11वीं-12वीं शताब्दी में यह क्षेत्र विभिन्न राजपूत शासकों के अधीन रहा।
- दिल्ली सल्तनत और मुगल काल में बस्ती पर मुस्लिम शासकों का प्रभुत्व रहा। अकबर के समय में यह जिला अवध (अयोध्या) प्रांत का हिस्सा था।
- मुगलों के पतन के बाद यह क्षेत्र अवध के नवाबों के अधीन आ गया।
ब्रिटिश काल
- 1801 में बस्ती ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में आ गया।
- 1865 में बस्ती को एक अलग जिले का दर्जा मिला।
- ब्रिटिश शासन के दौरान यहाँ किसान आंदोलन और स्वतंत्रता संग्राम की गतिविधियाँ हुईं। महात्मा गांधी और अन्य नेताओं ने यहाँ जनजागरण किया।
स्वतंत्रता के बाद
- 1947 के बाद बस्ती उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला बना।
- 1997 में बस्ती जिले को विभाजित करके संत कबीर नगर जिला बनाया गया।
सांस्कृतिक महत्व
- बस्ती हिंदू और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र रहा है। यहाँ कई प्राचीन मंदिर और स्मारक हैं।
- यह क्षेत्र भारतीय लोक संस्कृति, कला और साहित्य के लिए भी प्रसिद्ध है।
आज बस्ती कृषि, शिक्षा और व्यापार का एक प्रमुख केंद्र है और इसका ऐतिहासिक वैभव आज भी देखने को मिलता है।