हिमाचल प्रदेश में बढ़ रहे साइबर अपराध के मामलों पर त्वरित कार्रवाई करने के लिए हर जिले में साइबर नोडल ऑफिसर की तैनाती की जाएगी। डीएसपी रैंक का अधिकारी हर रोज जिले में दर्ज होने वाले साइबर ठगी के मामलों के बारे में साइबर क्राइम सेल शिमला से समन्वय स्थापित करेगा। मामलों में त्वरित कार्रवाई करने और ठगी की रकम को ज्यादा से ज्यादा रिकवर करने के लिए तकनीकी मदद भी ली जा सकेगी। साइबर क्राइम सेल ने इस संबंध में प्रदेश के सभी जिले के एसपी को निर्देश जारी कर दिए हैं।
अभी तक 20 लाख से कम राशि की ठगी वाले मामलों की जांच जिला पुलिस स्तर पर ही स्थापित साइबर शाखा देखती है लेकिन जिला पुलिस के पास काम का बोझ और तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण ऐसे मामलों को सुलझाने में दिक्कतें आ रही है। प्रदेश में लगातार साइबर ठगी के मामले बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए साइबर क्राइम सेल शिमला ने सभी जिलों के साथ समन्वय स्थापित कर ऐसे मामलों की बेहतर तरीके से जांच करने और सभी संबंधित एजेंसियों के साथ मिलकर मामलों की जांच करने का फैसला लिया है। अब साइकर क्राइम सेल 20 लाख से कम राशि वाले साइबर ठगी के मामलों में भी जिला पुलिस की तकनीकी मदद करेगा। इसके साथ हर जिला हर रोज साइबर अपराध से जुड़े मामलों की जानकारी शिमला की टीम के साथ साझा करेगा। इससे प्रदेश स्तर का साइबर अपराध से जुड़ा डाटा भी जुटाया जा सकेगा।
शिमला में हर रोज आ रही 400 से अधिक शिकायतें
साइबर अपराध के मामले कितना तेजी से बढ़ रहे हैं, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि हर रोज साइबर क्राइम शिमला के 400 से अधिक शिकायतें आ रही हैं। यह शिकायतें प्रदेशभर से प्राप्त हो रही हैं। इसको देखते हुए पुलिस विभाग ने आईक्रेक लैब को विकसित करने का फैसला भी लिया है। इस लैब में आधुनिक उपकरणों और साइबर अपराध के प्रशिक्षित कर्मचारियों की मदद से अपराध के मामलों को सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। डीआईजीएमसी साइबर क्राइम मोहित चावला ने बताया कि साइबर अपराध के मामलों में त्वरित कार्रवाई सबसे जरूरी होती है। अपराधी ठगी को अंजाम देने के बारे में एक के बाद दूसरे खातों में राशि को ट्रांसफर करके निकाल लेते हैं। इस वजह से ठगी की रकम को समय रहते होल्ड करने की जरूरत होती है। इसको देखते हुए जिला स्तर पर भी साइबर क्राइम सेल मामलों को सुलझाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा।