जौनपुर का इतिहास (History of Jaunpur in Hindi)
स्थापना एवं नामकरण:
जौनपुर शहर की स्थापना 14वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत के तुगलक वंश के शासक फिरोज शाह तुगलक ने की थी। इसका नाम उन्होंने अपने चचेरे भाई मुहम्मद बिन तुगलक (जिसका उपनाम “जौना खाँ” था) के नाम पर “जौनपुर” रखा।
शर्की वंश का शासन (1394-1479 ई.)
जौनपुर का स्वर्णिम काल शर्की वंश के शासन में आया, जिसकी स्थापना मलिक सरवर ने की थी। यह वंश दिल्ली सल्तनत से स्वतंत्र होकर एक शक्तिशाली राज्य बना और उत्तर भारत में अपना प्रभुत्व स्थापित किया।
प्रमुख शर्की शासक:
- मलिक सरवर (1394-1399 ई.) – पहले शर्की सुल्तान, जिन्हें “ख्वाजा-ए-जहाँ” की उपाधि मिली।
- इब्राहिम शाह शर्की (1402-1440 ई.) – जौनपुर की संस्कृति और वास्तुकला को बढ़ावा दिया।
- महमूद शाह शर्की (1440-1457 ई.) – इसके शासन में जौनपुर विद्या और कला का केंद्र बना।
- हुसैन शाह शर्की (1458-1479 ई.) – अंतिम शर्की शासक, जिसे लोदी वंश के सिकंदर लोदी ने पराजित किया।
जौनपुर की वास्तुकला
शर्की शासकों ने जौनपुर को एक सांस्कृतिक केंद्र बनाया और यहाँ कई भव्य इमारतें बनवाईं, जिनमें प्रमुख हैं:
- अटाला मस्जिद (1408 ई.) – इब्राहिम शाह शर्की द्वारा निर्मित।
- जामा मस्जिद (झंझरी मस्जिद) – हुसैन शाह शर्की ने बनवाई।
- लाल दरवाजा मस्जिद – बीबी राजी की याद में बनी।
- खालिस मुख्लिस मस्जिद – शर्की वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना।
मुगल काल में जौनपुर
1479 ई. में सिकंदर लोदी ने शर्की वंश को हराकर जौनपुर पर कब्जा कर लिया। बाद में, मुगल सम्राट अकबर ने इसे अपने साम्राज्य में मिला लिया। मुगल काल में जौनपुर एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बना रहा।
आधुनिक काल में जौनपुर
- ब्रिटिश काल में जौनपुर यूनाइटेड प्रोविंस (अब उत्तर प्रदेश) का हिस्सा बना।
- स्वतंत्रता संग्राम में जौनपुर के लोगों ने सक्रिय भूमिका निभाई।
- वर्तमान में जौनपुर उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला है, जो अपने ऐतिहासिक धरोहर, सूफी संस्कृति और शिक्षा के लिए प्रसिद्ध है।
निष्कर्ष:
जौनपुर का इतिहास गौरवशाली रहा है, खासकर शर्की वंश के समय में यह कला, संस्कृति और शिक्षा का प्रमुख केंद्र था। आज भी यहाँ की प्राचीन इमारतें और सूफी परंपराएँ इसके गौरवशाली अतीत की गवाही देती हैं।
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