बुलंदशहर का इतिहास (History of Bulandshahr in Hindi)
बुलंदशहर उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख ऐतिहासिक जिला है, जो अपने समृद्ध इतिहास और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यह दिल्ली से लगभग 80 किमी दूर स्थित है और यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है।
प्राचीन इतिहास
बुलंदशहर का इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस क्षेत्र को “बरन” नाम से जाना जाता था, जो महाभारत काल में पांडवों के निवास स्थान के रूप में प्रसिद्ध था। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि यहाँ लव (भगवान राम के पुत्र) का राज्य था।
मध्यकालीन इतिहास
- मुगल काल: बुलंदशहर का नाम “बुलंदशहर” (अर्थ: “ऊँचा शहर”) मुगल बादशाह अकबर के शासनकाल में पड़ा। अकबर ने यहाँ एक मजबूत प्रशासनिक ढाँचा स्थापित किया और इसे “बुलंदशहर सरकार” के नाम से जाना जाने लगा।
- शेरशाह सूरी: शेरशाह सूरी ने यहाँ कई सड़कों और किलों का निर्माण करवाया, जिनमें से कुछ अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं।
- औरंगज़ेब का शासन: मुगल सम्राट औरंगज़ेब के शासनकाल में बुलंदशहर में कई मस्जिदें और मदरसे बनवाए गए।
ब्रिटिश काल
- 1857 की क्रांति: बुलंदशहर 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र था। यहाँ के स्थानीय नायकों ने अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत की थी।
- जिला घोषणा: ब्रिटिश शासन में 1824 में बुलंदशहर को एक जिला घोषित किया गया।
स्वतंत्रता के बाद
आजादी के बाद बुलंदशहर उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण जिला बना, जो कृषि, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से विकसित हुआ।
प्रमुख ऐतिहासिक स्थल
- शिकारपुर का किला – मुगलकालीन ऐतिहासिक धरोहर।
- अहरान का किला – शेरशाह सूरी द्वारा निर्मित।
- नीलकंठ महादेव मंदिर – प्राचीन हिंदू मंदिर।
- साईं दरगाह, बुलंदशहर – प्रसिद्ध सूफी स्थल।
बुलंदशहर का इतिहास भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है, जहाँ विभिन्न सभ्यताओं और संस्कृतियों का समागम हुआ।
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