श्रावस्ती का इतिहास (History of Shravasti in Hindi)
श्रावस्ती प्राचीन भारत का एक महत्वपूर्ण नगर था, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले में स्थित है। यह नगर कोसल राज्य की राजधानी था और गौतम बुद्ध के समय में एक प्रमुख धार्मिक, आर्थिक एवं राजनीतिक केंद्र था।
प्राचीन इतिहास
- महाकाव्यों एवं पुराणों में उल्लेख
- श्रावस्ती का उल्लेख रामायण, महाभारत और बौद्ध-जैन ग्रंथों में मिलता है।
- पुराणों के अनुसार, इस नगर की स्थापना राजा श्रावस्त ने की थी, जिसके नाम पर इसका नाम श्रावस्ती पड़ा।
- बौद्ध काल में महत्व
- गौतम बुद्ध ने 24 वर्षों तक श्रावस्ती में वर्षावास (चातुर्मास) बिताया।
- यहाँ जेतवन विहार था, जिसे अनाथपिण्डिक ने बुद्ध को दान में दिया था। यह बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र बना।
- बुद्ध ने यहाँ कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए, जिनमें “अंगुलिमाल दृष्टांत” प्रसिद्ध है।
- जैन धर्म से संबंध
- जैन मान्यताओं के अनुसार, श्रावस्ती में तीर्थंकर सम्भवनाथ का जन्म हुआ था।
- यहाँ कई जैन मंदिर एवं स्तूप भी बने थे।
मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास
- मौर्य, गुप्त एवं हर्षवर्धन के शासन में भी श्रावस्ती का महत्व बना रहा।
- मुगल काल में यह नगर धीरे-धीरे उपेक्षित हो गया।
- 1853 ई. में अलेक्जेंडर कनिंघम ने इसकी पहचान की और पुरातात्विक खुदाई शुरू हुई।
वर्तमान श्रावस्ती
- आज श्रावस्ती एक तीर्थ स्थल है, जहाँ बौद्ध एवं जैन अनुयायी आते हैं।
- जेतवन विहार, शोभनाथ मंदिर, अनाथपिण्डिक स्तूप आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
निष्कर्ष: श्रावस्ती प्राचीन भारत का एक गौरवशाली नगर था, जो बौद्ध एवं जैन धर्म के इतिहास में अमर है। आज भी यह स्थल अपने ऐतिहासिक एवं धार्मिक महत्व के कारण पर्यटकों एवं तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है।
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