Mahadevi Verma का जन्म फर्रुखाबाद के शिक्षित कहां व्यस्त परिवार में सन 1960 ईस्वी में होलिका दहन के दिन हुआ था इनके पिता श्री गोविंद प्रसाद वर्मा भागलपुर के एक कालेज में प्रधानाचार्य थे इनकी माता हेमनानी परम विदुषी धार्मिक महिला थी एवं नाना ब्रजभाषा के एक अच्छे कवि थे महादेवी जी पर इन सभी का प्रभाव पड़ा और अंततः वे एक अच्छे प्रसिद्ध काव्य प्रिय प्राकृतिक एवं परमात्मा की निष्ठावान उपासना और सफल प्रधानाचार्य के रूप में प्रतिष्ठित हुए इनकी प्रारंभिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई संस्कृत में Ma. उत्तीर्ण करने के बाद वे एक प्रयाग महिला विद्यापीठ में प्रधानाचार्य हो गई इनका विवाह नव वर्ष की अल्पायु में हो गया था इनके पति श्री रूप नारायण सिंह एक डॉक्टर थे परंतु इनका दांपत्य जीवन सफल नहीं रहा था । उपरांत ही उन्होंने एफ ए बी ए और एम ए सम्मान सहित उत्तर इनकी महादेवी जी ने घर पर ही चित्रकला संगीत शिक्षा भी प्राप्त की कुछ समय तक यह चांद पत्रिका की संपादक आ रही 11 सितंबर 1987 ईस्वी में इनको एक महान लेखक का स्वर्गवास हो गया l
बिंदु (Points)जानकारी (Information)नाम (Name)महादेवी वर्माजन्म (Date of Birth)26/03/1907आयु80 वर्षजन्म स्थान (Birth Place)फ़ररुख़ाबाद, उत्तर प्रदेशपिता का नाम (Father Name)गोविन्द प्रसाद वर्मामाता का नाम (Mother Name)हेमरानी देवीपति का नाम (Husband Name)नारायण वर्मापेशा (Occupation )लेखिका, कवयित्रीबच्चे (Children)ज्ञात नहींमृत्यु (Death)11/09/1987मृत्यु स्थान (Death Place)इलाहाबाद, उत्तरप्रदेशभाई-बहन (Siblings)एक भाई, एक बहनअवार्ड (Award)पद्म विभूषण
महादेवी वर्मा साहित्यिक परिचय
पारिवारिक माहौल के कारण ही महादेवी जी को बचपन से ही कविता लिखने का शौक था. सात वर्ष की अल्पायु में ही महादेवी जी ने कवितायेँ लिखना शुरू कर दिया था. गोविन्द प्रसाद वर्मा के परिवार में दो सौ साल से कोई लड़की उत्पन्न नहीं हुई थी और होती थी तो उन्हें मार दिया जाता था.
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महादेवी का जन्म होने से पिता गोविन्द प्रसाद जी की खुशियों का ठिकाना ही नहीं रहा. ये परिवार की सबसे बड़ी अथवा सबसे लाडली पुत्री थीं. इनका जन्म माता रानी की कृपा से हुआ था. इसलिए इनके दादाजी ने उनका नाम महादेवी रखा था. इनके दो भाई एक बहिन थी.
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महादेवी वर्मा जी एक प्रसिद्ध कवयित्री और एक सुविख्यात लेखिका तो थीं ही साथ ही वो एक समाज सुधारक भी थीं. उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण पर विशेष ध्यान दिया. साथ ही महादेवी वर्मा जी ने महिलाओं को समाज में उनका अधिकार दिलवाने की और समाज में उचित आदर सम्मान दिलवाने के लिए कई महत्वपूर्ण एवं क्रन्तिकारी कदम उठाये थे. ये आधुनिक काल की मीराबाई कहलाती थीं क्योंकि इनकी कविताओं में एक प्रेमी से बिछडने के कष्ट और बिरह, पीड़ा को भावात्मक तरीके से वर्णित किया गया है.
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महादेवी वर्मा की शिक्षा
महादेवी जी की प्रारम्भिक शिक्षा इन्दौर में हुई और उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए वे सन 1919 में प्रयाग चली गयी थीं. इसके बाद 9 वर्ष की अल्पायु में इनका विवाह स्वरूप नारायण प्रसाद जी से करा दिया गया था. जिसके कारण इनकी शिक्षा कुछ समय के लिए रुक गईं थी. विवाहोपरान्त महादेवी जी इलाहाबाद कॉलेज के छात्रावास में रहने लगीं थीं. 1921 ई. में महादेवी जी ने आठवीं कक्षा में अपने भारत वर्ष में प्रथम स्थान प्राप्त किया था तथा 1924 में भी इन्होने हाइस्कूल की परीक्षा में भी प्रथम स्थान प्राप्त किया, साथ ही 1928 ई. में बी.ए. की परीक्षा एक गल्स कालेज से पास की थी.
1933 ई. में संस्कृत से एम.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की. इसके बाद इन्होने अपने काव्य जगत की शुरुआत की. कालेज के समय में इनकी मित्रता सुभद्रा कुमारी चौहान से हुई. जब 1933 ई. में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संस्कृत में एम॰ए॰ पास किया था. तभी इनकी दो कवितायें भी प्रकाशित हो चुकी थीं- नीहार अथवा रश्मि. इस प्रकार इनका विद्यार्थी जीवन सफल रहा.
विवाह
महादेवी जी के पिता जी ने इनका विवाह बरेली के पास नबावगंज के एक गाँव के निवासी स्वरूप नारायण वर्मा से कर दिया था. नारायण जी उस समय 10 वीं के छात्र थे. महादेवी का विवाह जब हुआ था तव वे विवाह का मतलब भी नहीं समझती थीं. उनको ये भी पता नहीं था कि उनका विवाह हो रहा है.
महादेवी वर्मा के प्रमुख काव्य संग्रह | Mahadevi Verma Poems
- दीपशिखा
- नीरजा
- सांध्यगीत
- नीहार
- रश्मि
- प्रथम आयाम
- अग्निरेखा
- सप्तपर्ण
पुरस्कार | Mahadevi Verma Awards
महादेवी वर्मा जी को
- पदम भूषण पुरस्कार
- ज्ञानपीठ पुरस्कार
- साहित्य अकादमी अनुदान पुरस्कार
- सेकसरिया पुरस्कार
- मरणोपरांत पद्म विभूषण पुरस्कार आदि से सम्मानित किया गया था.
आधुनिक हिंदी साहित्य में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाने वाली महादेवी जी ने अपना जीवन एक सन्यासी की तरह व्यतीत किया था. सन 11 सितम्बर 1987 ई . में इलाहाबाद उत्तर — प्रदेश में महादेवी वर्मा जी का निधन हो गया था.