प्रयागराज का इतिहास (History of Prayagraj in Hindi)
प्रयागराज, जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक शहर है। यह शहर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम (त्रिवेणी) पर स्थित है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है।
प्राचीन इतिहास
- वैदिक काल – प्रयाग का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है। इसे “तीर्थराज” (तीर्थों का राजा) कहा गया है।
- महाकाव्यों में उल्लेख – रामायण और महाभारत में प्रयाग का जिक्र है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने वनवास के दौरान यहाँ कुछ समय बिताया था।
- मौर्य और गुप्त काल – सम्राट अशोक ने प्रयाग में एक स्तंभ स्थापित किया, जिसे “अशोक स्तंभ” कहा जाता है (आज भी इलाहाबाद किले में मौजूद है)। गुप्त सम्राटों ने भी इस क्षेत्र को महत्व दिया।
मध्यकालीन इतिहास
- मुगल काल – 1583 में मुगल बादशाह अकबर ने यहाँ इलाहाबाद नामक शहर बसाया और एक विशाल किला बनवाया। उसने इस शहर को एक प्रशासनिक केंद्र के रूप में विकसित किया।
- औरंगजेब का शासन – औरंगजेब के समय में इलाहाबाद मुगल साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
आधुनिक इतिहास
- ब्रिटिश काल – अंग्रेजों ने इलाहाबाद को यूनाइटेड प्रोविंसेज (आगरा व अवध) की राजधानी बनाया। यह शहर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का एक प्रमुख केंद्र भी रहा।
- स्वतंत्रता आंदोलन –
- 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का पहला अधिवेशन बॉम्बे में हुआ, लेकिन इलाहाबाद कांग्रेस के कई बड़े नेताओं का केंद्र था।
- मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू का परिवार इलाहाबाद से जुड़ा था।
- चंद्रशेखर आजाद ने 1931 में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में ब्रिटिश पुलिस से मुठभेड़ के दौरान खुद को गोली मारकर शहादत दी।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
- कुंभ मेला – प्रयागराज में हर 12 साल में कुंभ मेला लगता है, जो दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है।
- संगम – गंगा, यमuna और सरस्वती के पवित्र संगम पर लाखों श्रद्धालु स्नान करते हैं।
- प्रसिद्ध मंदिर – अक्षयवट, हनुमान मंदिर (लेटे हनुमान जी), शंकर विमान मंडपम आदि प्रमुख धार्मिक स्थल हैं।
नाम परिवर्तन
- 2018 में उत्तर प्रदेश सरकार ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज कर दिया, जो इसका प्राचीन नाम था।
प्रयागराज न केवल एक धार्मिक नगरी है, बल्कि भारत के इतिहास, राजनीति और संस्कृति में इसका विशेष स्थान रहा है।