Raebareli ! उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय योजना के तहत, रायबरेली जिले के मजरा हमीरमऊ ग्राम पंचायत बेला-भेला में सदर विधायक अदिति सिंह और जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने विद्यालय का भूमि पूजन किया। यह पहल ग्रामीण क्षेत्रों में प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा 12 तक उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य निजी विद्यालयों द्वारा अभिभावकों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को भी कम करना है।
शिक्षा में समानता की ओर एक कदम के तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मॉडल के तहत कुछ चुनिंदा जनपदों को चिन्हित किया है, जिनमें सर्वप्रथम प्रयोग के तौर पर रायबरेली को चुना गया है। प्रदेश के 18 मंडल मुख्यालय को छोड़कर शेष 57 जनपदों में एक मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय के नवीन उन्नत विद्यालय का निर्माण किया जाना है। इस विद्यालय में प्री-प्राइमरी एवं कक्षा 1 से 12 तक की कक्षाएं होगी जिसमें लगभग 1500 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर सकते हैं।
विद्यालय में कक्षाओं की संख्या 30 होगी जो लगभग 6 एकड़ में बनाया जाए। विद्यालय में विज्ञान, वाणिज्यिक, कला वर्ग की शिक्षा दी जाएगी। साथ ही प्रधानाध्यापकों ,अध्यापकों कर्मचारियों के लिए आवास की भी व्यवस्था होगी। इसकी अतिरिक्त प्रार्थना स्थल, क्रीडा स्थल, ओपन जिम, सामान्य एवं दिव्यांग शौचालय, झूले, सेनेटरी पैड वेंडिंग मशीन, इंसीनरेटर, अग्निशमन यंत्र, सीसीटीवी कैमरे, पुस्तकालय, कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लास एवं प्रयोगशालाएं भी बनेगी। इस विद्यालय निर्माण की कार्यदाई संस्था कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सर्विसेज (उ0प्र0 जल निगम) है।
ग्रामीण अंचलों को मिलेगी उच्च शिक्षा की सौगात
इस अवसर पर सदर विधायक अदिति सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किए जा रहे इस अभिनव प्रयोग की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह मॉडल विद्यालय ग्रामीण अंचलों में भी अब उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा सुलभ कराएगा, जिससे शिक्षा के क्षेत्र में शहरी और ग्रामीण विभाजन कम होगा। यह कदम उन अभिभावकों के लिए भी बड़ी राहत लेकर आएगा, जिन्हें अक्सर निजी विद्यालयों की मनमानी फीस और अन्य शुल्कों से जूझना पड़ता है।
निजी संस्थानों पर लगेगी लगाम
मुख्यमंत्री मॉडल कंपोजिट विद्यालय योजना का एक प्रमुख लक्ष्य निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा अभिभावकों की जेब पर डाले जा रहे डाके पर लगाम कसना भी है। सरकारी विद्यालयों में प्री-प्राइमरी से लेकर 12वीं तक की शिक्षा की सुविधा उपलब्ध होने से अभिभावकों के पास एक व्यवहार्य और गुणवत्तापूर्ण विकल्प मौजूद होगा, जिससे उन्हें महंगे निजी स्कूलों की ओर देखने की मजबूरी नहीं रहेगी। यह योजना निश्चित रूप से उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के परिदृश्य को बदलने की क्षमता रखती है, जिससे हर बच्चे को, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से हो, अच्छी शिक्षा का अवसर मिल सकेगा।