कौशांबी (Kaushambi) उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (इलाहाबाद) से लगभग 50 किमी दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक प्राचीन नगर है, जिसका इतिहास बेहद समृद्ध और महत्वपूर्ण रहा है। यह वत्स महाजनपद की राजधानी थी और बौद्ध तथा जैन धर्म के विकास में इसका विशेष योगदान रहा।
कौशांबी का ऐतिहासिक महत्व
- प्राचीन काल में
- कौशांबी का उल्लेख महाभारत और पुराणों में मिलता है। इसे हस्तिनापुर से विस्थापित होकर आए वत्स राजा निचक्षु द्वारा बसाया गया था।
- यह नगर गंगा और यमुना के दोआब क्षेत्र में स्थित था, जो व्यापार और संस्कृति का प्रमुख केंद्र था।
- बौद्ध काल में
- गौतम बुद्ध ने कौशांबी का कई बार दौरा किया और यहाँ उन्होंने कई उपदेश दिए।
- यहाँ घोषिताराम विहार था, जो बौद्ध भिक्षुओं का प्रमुख केंद्र था।
- सम्राट अशोक ने कौशांबी में स्तंभ और स्तूप बनवाए, जिनके अवशेष आज भी मौजूद हैं।
- जैन धर्म से संबंध
- जैन ग्रंथों के अनुसार, तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने कौशांबी में धर्म प्रचार किया था।
- यहाँ कई जैन मंदिरों के अवशेष भी मिले हैं।
- गुप्त और मध्यकालीन युग में
- गुप्त सम्राटों के समय कौशांबी एक महत्वपूर्ण नगर था, लेकिन बाद में इसका पतन हो गया।
- मुगल काल तक यह नगर लगभग विलुप्त हो चुका था।
पुरातात्विक खोजें
- 20वीं सदी में हुई खुदाई में यहाँ प्राचीन दुर्ग, स्तूप, मंदिर, सिक्के और मूर्तियाँ मिली हैं।
- कौशांबी के स्तंभ पर ब्राह्मी लिपि में लेख मिले हैं, जो मौर्यकालीन हैं।
वर्तमान स्थिति
आज कौशांबी एक छोटा सा गाँव है, लेकिन इसके पुरातात्विक अवशेष इतिहास प्रेमियों और शोधकर्ताओं को आकर्षित करते हैं। यह स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में है।
कौशांबी का इतिहास भारत के गौरवशाली अतीत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बौद्ध, जैन और हिंदू संस्कृतियों के समन्वय को दर्शाता है।