UP Police। पिछले साल 24 नवंबर की वह सुबह तीन युवकों के लिए काल बन कर आई थी। वह सुबह लोगों के जेहन में अब भी बनी हुई है, जब एक कार सवार तीन युवक गूगल मैप को देखते हुए मुढ़ा स्थित रामगंगा पुल पर चढ़ गए जो क्षतिग्रस्त था। वह लोग कुछ समझ पाते तब तक कार रामगंगा नदी में जा गिरी थी। हादसे में कार सवार तीनों युवकों की मृत्यु हो गई थी।
इस हादसे के बाद काफी बबाल मचा और शासन ने इसका संज्ञान लिया। इसके बाद कमिश्नर बरेली ने पूरे मामले की जांच कराई। जिसमें पुल पर जाने वाले रास्ते को बंद न करने, संकेतन व चेतावनी बाेर्ड न लगाने पर सीधे तौर पर चार अभियंताओं को दोषी माना गया।
इस मामले में नायब तहसीलदार ने प्राथमिकी पंजीकृत कराई थी। जिसमें चार अभियंताओं को नामजद किया गया और गूगल के क्षेत्रीय प्रबंधक को भी जिम्मेदार बताया गया। इस मामले की जांच अब तक जारी है। पुलिस ने अब तक क्षेत्रीय प्रबंधक का नाम तक पता नहीं कर सकी है।
पीडब्ल्यूडी ने भी जांच शुरू कराई थी
इस हादसे में फर्रुखाबाद के इमादपुर निवासी अजीत, उनके चचेरे भाई नितिन व मैनपुरी निवासी टैक्सी मालिक अमित की मृत्यु हुई थी। घटनास्थल बरेली के फरीदपुर थाना क्षेत्र में आता था, इसलिए तीनों युवकों के शव का बरेली में ही पोस्टमार्टम कराया गया था। इस मामले में पीडब्ल्यूडी ने भी जांच शुरू कराई थी। साथ ही पुलिस प्राथमिकी के आधार पर जांच कर रही थी।
शासन से रिपोर्ट मांगी गई
हादसे के बाद पुल अब तक क्षतिग्रस्त क्यों था। इसका निर्माण क्यों रुका इस पर भी शासन से रिपोर्ट मांगी गई। जिसमें बताया कि पुल निर्माण के बाद उस पर आवागमन शुरू हुआ था, लेकिन बाढ़ के दौरान वह फरीदपुर तरफ का एप्रोच रोड बह जाने के बाद से पुल अधूरा पड़ा था।
इसके लिए आइआइटी रुड़की की टीम को पुल की माडल स्टडी करनी थी। जो किन्ही कारण से नहीं हो सकी। इधर पुलिस और पीडब्ल्यूडी के अधिकारी जांच कर रहे थे। उधर शासन ने माडल स्थल के लिए फंड जारी किया। पीडब्ल्यूडी ने अपनी जांच में दो अवर अभियंताओं को दोषी मानते हुए चार्जशीट मांग ली है।
वहीं पुलिस भी क्षेत्रीय प्रबंधक का नाम पता जानने के लिए गुरुग्राम स्थित गूगल कार्यालय पहुंच गई। जहां नोटिस रिसीव करा दिया गया। लेकिन कुल मिलाकर अब तक तीनों युवकों की मृत्यु मामले की जांच अधूरी है।
मुढ़ा पुल हादसे के बाद सुधरी सड़कों और पुल की स्थिति
मुढ़ा पुल हादसे के बाद के बाद से पीडब्ल्यूडी और सेतु निगम की एक के बाद एक पोल खोली गई। जो भी पुल अधूरे, क्षतिग्रस्त और जीर्णशीर्ण थे। दैनिक जागरण ने उनको एक एक कर प्रकाशित करना शुरू किया। इसके कुछ दिन बाद ही बिसौली में सोत नदी के क्षतिग्रस्त और कमजोर पुल को बंद कर दिया गया। यहां सीमेंट की दीवार खड़ी कर दी गई। रास्ते में जगह जगह बोल्डर लगा दिए गए। इसके अलावा शहर से निकली सोत नदी के पुल की रेलिंग टूटी थी। उसे भी सही करा दिया गया।
वहीं दातागंज से बेलाडांडी जाने वाले मार्ग पर पड़ने वाली पुलिया जब रामगंगा नदी का पानी आने के कारण कमजोर हुई तो वहां पर भी काम शुरू कराया गया और भारी वाहनों का प्रवेश रोका गया। इसी तरह अरिल नदी का नया पुल बनने के बाद भी पुराना पुल जारी था, उसे भी दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद बंद कराया गया था।