बिजनौर का इतिहास (History of Bijnor in Hindi)
बिजनौर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक जिला है, जो गंगा और रामगंगा नदियों के तट पर स्थित है। यह क्षेत्र प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक, धार्मिक और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।
प्राचीन इतिहास
- महाभारत काल – कुछ विद्वानों के अनुसार, बिजनौर का संबंध महाभारत काल से है। मान्यता है कि यहाँ पर पांडवों ने अपने वनवास के दौरान समय बिताया था।
- मौर्य एवं गुप्त साम्राज्य – यह क्षेत्र मौर्य (322–185 ईसा पूर्व) और गुप्त साम्राज्य (लगभग 320–550 ईस्वी) के अंतर्गत रहा।
- हर्षवर्धन का शासन – 7वीं शताब्दी में हर्षवर्धन के शासनकाल में बिजनौर उनके साम्राज्य का हिस्सा था।
मध्यकालीन इतिहास
- दिल्ली सल्तनत (1206–1526) – बिजनौर पर कुतुबुद्दीन ऐबक और उसके उत्तराधिकारियों का शासन रहा।
- मुगल काल (1526–18वीं शताब्दी) –
- अकबर के समय में बिजनौर मुगल साम्राज्य का हिस्सा बना।
- औरंगजेब के शासनकाल में यह क्षेत्र रोहिला पठानों के प्रभाव में आया।
- रोहिला शासन (18वीं शताब्दी) –
- 1748 में अली मुहम्मद खान रोहिला ने बिजनौर को अपनी राजधानी बनाया।
- 1774 में रोहिलाओं और अंग्रेजों के बीच हुई रोहिला युद्ध के बाद यह क्षेत्र अंग्रेजों के अधीन हो गया।
ब्रिटिश काल (19वीं–20वीं शताब्दी)
- 1857 का प्रथम स्वतंत्रता संग्राम – बिजनौर के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत में भाग लिया।
- जिले का गठन – 1817 में बिजनौर को आधिकारिक तौर पर एक जिला घोषित किया गया।
स्वतंत्रता के बाद
- 1947 में भारत की आजादी के बाद बिजनौर उत्तर प्रदेश राज्य का हिस्सा बना।
- कृषि, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
- नजीबाबाद – यहाँ का प्रसिद्ध दरगाह हजरत शाह विलायत अली शाह का है।
- गंगा नदी – बिजनौर में गंगा नदी के तट पर कई धार्मिक स्थल हैं।
- ऐतिहासिक किले – शेरकोट किला और बिजनौर किला यहाँ के प्रमुख ऐतिहासिक स्थल हैं।
निष्कर्ष
बिजनौर का इतिहास प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक समृद्ध रहा है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थल, धार्मिक महत्व और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान ने इसे उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में शामिल किया है।
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