मथुरा का इतिहास (History of Mathura in Hindi)
मथुरा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक प्राचीन और धार्मिक महत्व वाला शहर है। यह यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है और हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म के लिए एक पवित्र स्थल माना जाता है। मथुरा का इतिहास हज़ारों साल पुराना है और यह भगवान कृष्ण की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है।
प्राचीन काल में मथुरा
- महाभारत काल (लगभग 3000 ईसा पूर्व)
- मथुरा को “मधुपुरी” या “मधुरा” के नाम से जाना जाता था।
- यह शूरसेन जनपद की राजधानी थी, जिस पर भगवान कृष्ण के मामा कंस का शासन था।
- कृष्ण ने कंस का वध करके मथुरा को उसके अत्याचारों से मुक्त किया।
- मौर्य एवं शुंग काल (322–72 ईसा पूर्व)
- मौर्य सम्राट अशोक ने मथुरा में बौद्ध स्तूपों और विहारों का निर्माण करवाया।
- शुंग वंश के समय मथुरा कला और संस्कृति का केंद्र बना रहा।
- कुषाण काल (1वीं–3वीं शताब्दी ईस्वी)
- कुषाण शासक कनिष्क के समय मथुरा कला का प्रमुख केंद्र बना।
- यहाँ की मथुरा कला शैली प्रसिद्ध हुई, जिसमें बुद्ध और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाई गईं।
मध्यकालीन मथुरा
- गुप्त काल (4वीं–6वीं शताब्दी)
- गुप्त सम्राटों ने मथुरा को संरक्षण दिया और यहाँ मंदिरों का जीर्णोद्धार किया।
- चीनी यात्री फाह्यान ने मथुरा की समृद्धि का वर्णन किया।
- मुगल काल (16वीं–18वीं शताब्दी)
- मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1670 में केशवदेव मंदिर को ध्वस्त कर दिया और उसके स्थान पर ईदगाह बनवाई।
- इसके बावजूद, मथुरा में कृष्ण भक्ति की परंपरा जारी रही।
आधुनिक काल में मथुरा
- ब्रिटिश काल (19वीं–20वीं शताब्दी)
- अंग्रेज़ों के समय मथुरा एक ज़िला बना और यहाँ रेलवे लाइन बिछाई गई।
- 20वीं सदी में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर का पुनर्निर्माण हुआ।
- स्वतंत्रता के बाद
- मथुरा एक प्रमुख तीर्थस्थल और पर्यटन केंद्र बना।
- यहाँ द्वारकाधीश मंदिर, गोवर्धन, वृंदावन और बांके बिहारी मंदिर जैसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं।
धार्मिक महत्व
- मथुरा “सप्त पुरियों” में से एक है, जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था।
- यहाँ कृष्ण जन्माष्टमी और होली धूमधाम से मनाई जाती है।
निष्कर्ष
मथुरा का इतिहास हिंदू संस्कृति, कला और धर्म से गहराई से जुड़ा हुआ है। आज भी यह शहर लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
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