रायबरेली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आशीर्वचन के बाद जब दीर्घा से भरपूर करतल ध्वनि गूंजी तो मनीषा के सामने यहां तक पहुंचने की तीन वर्षीय यात्रा एक चलचित्र की तरह घूम गई। मनीषा की इस यात्रा ने उन्हें भले ही प्रधानमंत्री आवास में सम्मान दिलाया हो, लेकिन इस यात्रा में उनके परिश्रम, लगन ओर युक्ति के साथ ही अपनों के ताने भी शामिल हैं।
मुद्रा लोन योजना के दस वर्ष पूरे होने पर सात अप्रैल को देश भर से 48 नवउद्यमियों को प्रधानमंत्री आवास पर बुलाकर सम्मानित किया गया। इन्हीं में से एक हैं रायबरेली के छोटे से मुहल्ले बहराना की मनीषा रावत।
मनीषा के लिए तो यह मानो कल की बात है कि पिता की मृत्यु के बाद परिवार को आर्थिक संबल देने के लिए कैसे उन्होंने अपनी बहन के साथ उधार के दस हजार रुपयों से काम शुरू किया। कुछ समय बाद उनको मुद्रा लोन का सहारा मिला और आज वह सालाना तीस लाख रुपये टर्नओवर की कंपनी खड़ी कर चुकी हैं। वह करीब दो दर्जन युवक-युवतियों के लिए रोजगार का माध्यम भी बन चुकी हैं।