बहराइच का इतिहास (History of Bahraich in Hindi)
बहराइच उत्तर प्रदेश के उत्तरी भाग में स्थित एक प्राचीन जिला है, जिसका इतिहास समृद्ध और गौरवशाली रहा है। यह शहर सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है और प्राचीन काल से ही धार्मिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है।
प्राचीन इतिहास
- बहराइच का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में मिलता है।
- मान्यता है कि यह क्षेत्र भगवान राम के वनगमन मार्ग में आता था।
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार, यह क्षेत्र महाभारत काल में पांचाल राज्य का हिस्सा था।
मध्यकालीन इतिहास
- 11वीं शताब्दी में मुस्लिम शासकों ने इस क्षेत्र पर अधिकार किया।
- सूफी संत सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी (रह.) का बहराइच से गहरा संबंध है। उनका मकबरा यहाँ स्थित है और हर साल उनके उर्स पर विशाल मेला लगता है।
- मुगल काल में बहराइच एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र था।
ब्रिटिश काल
- 1857 की क्रांति में बहराइच के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बग़ावत में हिस्सा लिया।
- ब्रिटिश शासन के दौरान यह जिला अवध प्रांत का हिस्सा था।
स्वतंत्रता के बाद
- 1947 के बाद बहराइच उत्तर प्रदेश का एक जिला बना।
- आज यह कृषि, पर्यटन और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
प्रमुख धार्मिक स्थल
- सैयद सालार मसूद ग़ाज़ी का मकबरा – एक प्रसिद्ध सूफी दरगाह।
- घाघरा (सरयू) नदी का तट – पौराणिक महत्व का स्थान।
- रामगढ़ ताल – ऐतिहासिक एवं प्राकृतिक स्थल।
बहराइच अपने ऐतिहासिक महत्व, धार्मिक स्थलों और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। यहाँ का इतिहास हिंदू, मुस्लिम और ब्रिटिश काल की मिश्रित संस्कृति को दर्शाता है।
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