बागपत (Baghpat) उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक शहर और जिला है, जिसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह दिल्ली से लगभग 40 किमी उत्तर-पूर्व में यमुना नदी के किनारे स्थित है। बागपत का नाम संस्कृत शब्द “व्याघ्रप्रस्थ” (Vyaghraprastha) से लिया गया है, जिसका अर्थ है “बाघों का स्थान”।
प्राचीन इतिहास
- महाभारत काल:
- बागपत को महाभारत काल से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि यहां पांडवों और कौरवों का संबंध रहा था।
- कुछ मान्यताओं के अनुसार, यह क्षेत्र “व्याघ्रप्रस्थ” नाम से जाना जाता था, जहां बाघों की अधिकता थी।
- मौर्य एवं गुप्त काल:
- मौर्य और गुप्त साम्राज्य के दौरान यह क्षेत्र व्यापार और कृषि का महत्वपूर्ण केंद्र रहा।
- यहाँ से प्राप्त पुरातात्विक अवशेषों से इसकी प्राचीन समृद्धि का पता चलता है।
मध्यकालीन इतिहास
- मुगल काल:
- मुगल बादशाहों के शासनकाल में बागपत एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक और सैन्य केंद्र था।
- यह दिल्ली सल्तनत और मुगलों के बीच युद्धों का गवाह रहा।
- मराठा एवं ब्रिटिश काल:
- 18वीं शताब्दी में मराठों ने इस क्षेत्र पर कब्जा किया।
- 1803 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया और इसे “मेरठ जिले” का हिस्सा बनाया।
आधुनिक इतिहास
- स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका:
- 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बागपत के लोगों ने सक्रिय भाग लिया।
- यहाँ के किसानों और स्थानीय नेताओं ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह किया।
- जिले का गठन:
- 15 सितंबर 2011 को बागपत को उत्तर प्रदेश का 72वाँ जिला घोषित किया गया।
सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व
- बागपत में कई प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं।
- यह जाट, राजपूत और अन्य समुदायों की सांस्कृतिक विरासत का केंद्र है।
आज बागपत कृषि, उद्योग और शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है, लेकिन इसका गौरवशाली इतिहास आज भी इसकी पहचान है।