देवरिया (Deoria) का इतिहास (हिंदी में)
देवरिया उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित एक महत्वपूर्ण जिला है, जिसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह गोरखपुर मंडल में आता है और अपनी उपजाऊ भूमि, सांस्कृतिक विरासत तथा धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन इतिहास
- महाजनपद काल: देवरिया क्षेत्र प्राचीन काल में कोसल महाजनपद का हिस्सा था, जिसकी राजधानी श्रावस्ती थी।
- बौद्ध एवं जैन प्रभाव: यह क्षेत्र बौद्ध और जैन धर्म से प्रभावित रहा। गौतम बुद्ध ने इस क्षेत्र में यात्राएँ की थीं।
- मौर्य एवं गुप्त काल: मौर्य और गुप्त साम्राज्य के दौरान यह क्षेत्र विकसित हुआ।
मध्यकालीन इतिहास
- सल्तनत काल: 12वीं-13वीं शताब्दी में देवरिया क्षेत्र पर दिल्ली सल्तनत का प्रभाव रहा।
- मुगल काल: अकबर के समय में यह क्षेत्र जौनपुर सूबे का हिस्सा था।
- गोरखपुर का महत्व: मुगलों के बाद यह क्षेत्र गोरखपुर के नवाबों के अधीन रहा।
आधुनिक इतिहास
- ब्रिटिश काल:
- 1801 में अंग्रेजों ने इस क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
- 1865 में देवरिया को गोरखपुर जिले का तहसील बनाया गया।
- 16 मार्च 1946 को देवरिया को स्वतंत्र जिला घोषित किया गया।
- स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
- देवरिया के कई स्वतंत्रता सेनानियों ने 1857 की क्रांति, चौरी-चौरा कांड (1922) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में भाग लिया।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
- देवराही बाबा मंदिर: यहाँ का प्रसिद्ध शिव मंदिर भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
- बुद्धा मठ: बौद्ध धर्म से जुड़ा एक प्राचीन स्थल।
- लोक संस्कृति: यहाँ भोजपुरी लोकगीत, नाचा और रामलीला का बड़ा प्रभाव है।
आज का देवरिया
- कृषि प्रधान जिला: चावल, गन्ना और गेहूं की खेती मुख्य है।
- शिक्षा एवं विकास: देवरिया में कई कॉलेज और स्कूल हैं, जिनमें दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज शामिल हैं।
- पर्यटन स्थल:
- भुलैया झील (प्राकृतिक सौंदर्य)
- रुद्रपुर वन्यजीव अभयारण्य
निष्कर्ष
देवरिया का इतिहास प्राचीन सभ्यताओं, धार्मिक विविधता और स्वतंत्रता संघर्ष से जुड़ा हुआ है। आज यह जिला कृषि, संस्कृति और शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है।
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