बदायूं (Budaun) का इतिहास
बदायूं उत्तर प्रदेश का एक प्राचीन शहर है जो ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। यह शहर रामगंगा नदी के किनारे बसा हुआ है और इसका इतिहास हिंदू, मुस्लिम और ब्रिटिश काल से जुड़ा हुआ है।
प्राचीन काल में बदायूं
- बदायूं का उल्लेख महाभारत काल में भी मिलता है। कहा जाता है कि यहां ऋषि वेदव्यास का आश्रम था।
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार, इस शहर की स्थापना बुद्ध (बोधिसत्व) के नाम पर हुई थी, जबकि अन्य मान्यताओं के अनुसार इसे राजा बुद्ध सेन ने बसाया था।
मध्यकालीन इतिहास (दिल्ली सल्तनत और मुगल काल)
- 11वीं-12वीं शताब्दी में बदायूं कन्नौज के गहड़वाल राजवंश के अधीन था।
- 1196 ई. में मुहम्मद गोरी के सेनापति कुतुबुद्दीन ऐबक ने बदायूं पर आक्रमण किया और इसे दिल्ली सल्तनत में मिला लिया।
- इल्तुतमिश (1210-1236 ई.) के शासनकाल में बदायूं एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बना और यहां कई मस्जिदें व इमारतें बनवाई गईं।
- खिलजी और तुगलक काल में भी बदायूं का महत्व बना रहा।
- मुगलकाल में अकबर ने इसे अवध सूबे में शामिल किया।
ब्रिटिश काल में बदायूं
- 1801 ई. में बदायूं अंग्रेजों के अधीन आ गया और नॉर्थ-वेस्टर्न प्रोविंस (आगरा प्रांत) का हिस्सा बना।
- 1857 की क्रांति में बदायूं के लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत में भाग लिया।
- ब्रिटिश शासन में यहां न्यायालय, कचहरी और शिक्षण संस्थान स्थापित किए गए।
स्वतंत्रता के बाद बदायूं
- 1947 के बाद बदायूं उत्तर प्रदेश का एक जिला बना और कृषि, शिक्षा व सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र रहा।
धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व
- दरगाह शाह विलायत – एक प्रसिद्ध सूफी संत की दरगाह।
- जामा मस्जिद – इल्तुतमिश द्वारा बनवाई गई प्राचीन मस्जिद।
- काला मंदिर – भगवान शिव का प्राचीन मंदिर।
आज बदायूं एक विकासशील जिला है जहां कृषि, उद्योग और शिक्षा का समावेश है। यह अपने ऐतिहासिक धरोहर के लिए जाना जाता है।
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