संभल का इतिहास (History of Sambhal in Hindi)
संभल उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के पास स्थित एक ऐतिहासिक शहर है, जिसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह शहर अपनी सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक महत्व और ऐतिहासिक घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन काल में संभल
संभल का उल्लेख प्राचीन हिंदू ग्रंथों और पुराणों में मिलता है। कुछ मान्यताओं के अनुसार, इस क्षेत्र को “शंभल” कहा जाता था, जो कल्कि अवतार से जुड़ा हुआ है। कुछ विद्वानों का मानना है कि भविष्य में होने वाले कल्कि अवतार का संबंध संभल से हो सकता है।
मध्यकालीन इतिहास
- दिल्ली सल्तनत काल –
- संभल पर 12वीं-13वीं शताब्दी में दिल्ली सल्तनत का शासन रहा।
- इल्तुतमिश (1211-1236 ई.) ने संभल को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक केंद्र बनाया।
- बलबन (1266-1287 ई.) ने यहां एक मजबूत किला बनवाया, जिसके अवशेष आज भी मौजूद हैं।
- मुगल काल –
- बाबर ने अपनी आत्मकथा “बाबरनामा” में संभल का उल्लेख किया है।
- अकबर के शासनकाल में संभल “सरकार-ए-संभल” के नाम से जाना जाता था और यह दिल्ली सूबे का हिस्सा था।
- जहांगीर ने संभल को अपनी राजधानी बनाने की योजना बनाई थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
- औरंगजेब का शासन –
- औरंगजेब ने संभल में एक मस्जिद (जामा मस्जिद) का निर्माण करवाया, जो आज भी मौजूद है।
आधुनिक काल में संभल
- ब्रिटिश काल में संभल एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
- 1947 के बाद यह भारत का हिस्सा बना और उत्तर प्रदेश में शामिल हो गया।
- 2011 में इसे नए संभल जिले का मुख्यालय बनाया गया।
धार्मिक महत्व
- संभल को हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लिए पवित्र माना जाता है।
- यहां कई प्राचीन मंदिर और मस्जिदें हैं, जिनमें काली मंदिर और जामा मस्जिद प्रमुख हैं।
निष्कर्ष
संभल का इतिहास हजारों साल पुराना है, जो प्राचीन काल से लेकर मुगल और ब्रिटिश शासन तक फैला हुआ है। आज यह शहर अपनी ऐतिहासिक धरोहर और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है।
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