वाराणसी, जिसे बनारस या काशी भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन शहर है। यह दुनिया के सबसे पुराने लगातार बसे हुए शहरों में से एक माना जाता है और हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है।
वाराणसी का प्राचीन इतिहास
- पौराणिक काल
- हिंदू पुराणों के अनुसार, वाराणसी की स्थापना भगवान शिव ने की थी, इसलिए इसे “शिव की नगरी” भी कहा जाता है।
- काशी नाम का उल्लेख महाभारत, रामायण और उपनिषदों में मिलता है।
- यह शहर मोक्ष (मुक्ति) का स्थान माना जाता है, जहाँ मरने वालों को मोक्ष प्राप्त होता है।
- बौद्ध काल (लगभग 6वीं शताब्दी ईसा पूर्व)
- भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ (वाराणसी के निकट) में दिया था, जिसे “धर्मचक्र प्रवर्तन” कहा जाता है।
- मौर्य सम्राट अशोक ने सारनाथ में स्तूप और स्तंभ बनवाए, जो आज भी देखे जा सकते हैं।
- मध्यकालीन इतिहास
- गुप्त साम्राज्य (4वीं-6वीं शताब्दी) में वाराणसी शिक्षा और संस्कृति का केंद्र बना।
- मुगल काल में अकबर ने यहाँ कई मंदिरों का निर्माण करवाया, लेकिन औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनवाई (1669 ई.)।
- मराठा शासकों ने 18वीं शताब्दी में मंदिरों का पुनर्निर्माण कराया।
- ब्रिटिश काल (18वीं-20वीं शताब्दी)
- 1775 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने वाराणसी पर नियंत्रण कर लिया।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में यहाँ विद्रोह हुआ, जिसे अंग्रेजों ने दबा दिया।
- महात्मा गांधी ने 1921 में काशी विद्यापीठ की स्थापना की, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का एक केंद्र बना।
वाराणसी का आधुनिक महत्व
- धार्मिक महत्व: काशी विश्वनाथ मंदिर, संकट मोचन मंदिर, दुर्गा मंदिर और सारनाथ प्रमुख तीर्थ हैं।
- शैक्षणिक केंद्र: बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना 1916 में पंडित मदन मोहन मालवीय ने की।
- सांस्कृतिक केंद्र: यहाँ की बनारसी साड़ियाँ, संगीत (जैसे शास्त्रीय संगीत में बनारस घराना) और व्यंजन (जैसे कचौड़ी, मलाइयो) प्रसिद्ध हैं।
वाराणसी आज भी आध्यात्मिकता, इतिहास और संस्कृति का प्रतीक है, जहाँ प्राचीन और आधुनिकता का अनोखा मेल देखने को मिलता है।