बरेली का इतिहास (History of Bareilly in Hindi)
बरेली, उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख शहर, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। यह रोहिलखंड क्षेत्र का हिस्सा है और अपनी समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है।
प्राचीन काल
- बरेली का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि यहां पांचाल राज्य का हिस्सा था और यह क्षेत्र अहिच्छत्र (वर्तमान में रामनगर, आंवला के पास) की राजधानी था।
- गुप्त साम्राज्य और हर्षवर्धन के शासनकाल में भी यह क्षेत्र महत्वपूर्ण रहा।
मध्यकालीन इतिहास
- मुगल काल में बरेली को मुहम्मद खान बंगश ने 1537 ई. में बसाया, जो एक अफगान सरदार था। उसने यहाँ एक किला बनवाया और शहर को विकसित किया।
- 18वीं शताब्दी में यह रोहिला अफगानों का गढ़ बना। अली मुहम्मद खान रोहिला ने रोहिलखंड की स्थापना की और बरेली को अपनी राजधानी बनाया।
- 1774 में रोहिला युद्ध के बाद, अंग्रेजों और अवध के नवाब ने मिलकर रोहिलखंड पर कब्जा कर लिया और बरेली ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया।
ब्रिटिश काल
- 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में बरेली एक प्रमुख केंद्र था। यहाँ खान बहादुर खान रोहिला ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, लेकिन बाद में उन्हें फाँसी दे दी गई।
- ब्रिटिश शासन में बरेली एक महत्वपूर्ण सैन्य छावनी और प्रशासनिक केंद्र बना।
आधुनिक युग
- आजादी के बाद बरेली उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख जिला बना।
- यह शहर हस्तशिल्प, फर्नीचर उद्योग और व्यापार के लिए प्रसिद्ध है।
- बरेली को नाथ सम्प्रदाय का भी एक प्रमुख केंद्र माना जाता है, जहाँ अलखनाथ मंदिर और त्रिवटीनाथ मंदिर प्रसिद्ध हैं।
सांस्कृतिक महत्व
- बरेली की संस्कृति में रोहिला अफगान, मुगल और भारतीय परंपराओं का मिश्रण है।
- यहाँ के लोकगीत और नृत्य (जैसे कजरी और स्वांग) प्रसिद्ध हैं।
- बरेली अपने जलेबी, सुरमा चावल और ज़र्दा के लिए भी मशहूर है।
आज बरेली उत्तर प्रदेश का एक विकासशील शहर है, जो अपने ऐतिहासिक गौरव और आधुनिक प्रगति के लिए जाना जाता है।