हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) का इतिहास
हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक ऐतिहासिक जिला है, जिसका इतिहास प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और वीर योद्धाओं के लिए प्रसिद्ध है।
प्राचीन इतिहास
हमीरपुर का इतिहास त्रिगर्त सभ्यता (वर्तमान कांगड़ा) से जुड़ा हुआ है। प्राचीन काल में यह क्षेत्र कटोच राजवंश के अधीन था, जिन्होंने लगभग 2000 वर्षों तक इस क्षेत्र पर शासन किया। मध्यकाल में यहाँ चंबा और कुल्लू के राजाओं का भी प्रभाव रहा।
मध्यकालीन इतिहास
- 10वीं-12वीं शताब्दी में हमीरपुर पर कटोच राजपूतों का शासन था।
- मुगल काल में अकबर ने इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिलाया, लेकिन स्थानीय राजाओं ने आंशिक स्वायत्तता बनाए रखी।
- 18वीं शताब्दी में राजा हमीर चंद (कटोच वंश) ने इस क्षेत्र को मजबूत किया और अपनी राजधानी सुजानपुर टिहरा बनाई। उन्हीं के नाम पर इस जिले का नाम “हमीरपुर” पड़ा।
ब्रिटिश काल
- 1846 में सिख-अंग्रेज युद्ध के बाद हमीरपुर ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन आ गया।
- 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में हमीरपुर के लोगों ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ बगावत की।
- 1948 में हिमाचल प्रदेश के गठन के बाद हमीरपुर को इसका हिस्सा बनाया गया।
स्वतंत्रता के बाद
- 1972 में हमीरपुर को पूर्ण जिले का दर्जा मिला।
- आज यह शिक्षा, कृषि और पर्यटन का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
सांस्कृतिक विरासत
- सुजानपुर टिहरा – यहाँ का प्रसिद्ध किला और रंगमहल ऐतिहासिक धरोहर हैं।
- गुरुद्वारा श्री नानक जी – बाबा नानक के यहाँ आगमन की याद में बना गुरुद्वारा।
- देवी सिध्द बाबा मंदिर – एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल।
हमीरपुर अपने वीर सपूतों, हरियाली और ऐतिहासिक महत्व के लिए हमेशा याद किया जाता है।
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