कन्नौज (Kannauj) का इतिहास बहुत ही गौरवशाली और समृद्ध रहा है। यह शहर उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के किनारे स्थित है और प्राचीन काल से ही एक महत्वपूर्ण राजनीतिक, सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र रहा है।
प्राचीन काल में कन्नौज
- महाभारत काल: कन्नौज को कान्यकुब्ज के नाम से जाना जाता था। महाभारत और पुराणों में इसका उल्लेख मिलता है।
- गुप्त साम्राज्य: गुप्त काल में कन्नौज एक प्रमुख नगर था। समुद्रगुप्त और चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में यह शहर फला-फूला।
- मौखरि वंश: 6वीं शताब्दी में मौखरि वंश ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया। इसी दौरान यह उत्तर भारत का एक प्रमुख शक्ति केंद्र बना।
मध्यकालीन कन्नौज
- हर्षवर्धन का शासन (606–647 ई.): हर्षवर्धन ने कन्नौज को अपनी राजधानी बनाया और यहाँ से पूरे उत्तर भारत पर शासन किया। उनके शासनकाल में कन्नौज विद्या, कला और संस्कृति का केंद्र बना। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने यात्रा वृतांत में कन्नौज की समृद्धि का वर्णन किया है।
- त्रिकोणीय संघर्ष (8वीं-10वीं शताब्दी): गुर्जर-प्रतिहार, पाल (बंगाल) और राष्ट्रकूट (दक्कन) के बीच कन्नौज पर अधिकार को लेकर लंबा संघर्ष हुआ। अंततः गुर्जर-प्रतिहारों ने कन्नौज पर कब्जा कर लिया।
- मुस्लिम आक्रमण:
- 1018 ई. में महमूद गजनवी ने कन्नौज पर हमला किया और इसे लूटा।
- 1194 ई. में मुहम्मद गोरी ने जयचंद (राठौर वंश) को हराकर कन्नौज पर कब्जा कर लिया।
मुगल काल और बाद का समय
- मुगल साम्राज्य: अकबर के समय कन्नौज एक महत्वपूर्ण सरकार (प्रशासनिक इकाई) था।
- अंग्रेजों का शासन: ब्रिटिश काल में कन्नौज एक जिला मुख्यालय था, लेकिन धीरे-धीरे इसका महत्व कम होता गया।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
- कन्नौज इत्र (सुगंधित तेल) के लिए प्रसिद्ध है, जिसे “इत्र की नगरी” कहा जाता है।
- यहाँ कई प्राचीन मंदिर और ऐतिहासिक स्थल हैं, जैसे घंटाई मंदिर और हर्षवर्धन के किले के अवशेष।
कन्नौज का इतिहास भारत के गौरवशाली अतीत का प्रतीक है, जिसने कई साम्राज्यों का उत्थान-पतन देखा है।