झाँसी का इतिहास (History of Jhansi in Hindi)
झाँसी, उत्तर प्रदेश का एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपनी वीरता, स्वतंत्रता संग्राम और रानी लक्ष्मीबाई के साहस के लिए प्रसिद्ध है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है और अपने गौरवशाली अतीत के लिए जाना जाता है।
प्राचीन इतिहास
- झाँसी का प्राचीन नाम “बालवंत नगर” था।
- यह क्षेत्र मौर्य, गुप्त और चंदेल शासकों के अधीन रहा।
- 11वीं शताब्दी में यहाँ चंदेल राजपूतों का शासन था।
मध्यकालीन इतिहास
- 1613 ई. में ओरछा के राजा बीर सिंह जूदेव ने झाँसी किले का निर्माण करवाया।
- 17वीं-18वीं शताब्दी में यह मराठा साम्राज्य के अंतर्गत आया।
- पेशवा बाजीराव प्रथम ने इसे अपने सहयोगी रघुनाथराव नेवालकर को सौंप दिया, जिसके बाद झाँसी एक स्वतंत्र मराठा राज्य बना।
ब्रिटिश काल और रानी लक्ष्मीबाई
- 1817-1853 तक झाँसी पर राजा गंगाधर राव का शासन रहा।
- 1853 में गंगाधर राव की मृत्यु के बाद, अंग्रेजों ने “डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स” के तहत झाँसी को ब्रिटिश साम्राज्य में मिलाने की कोशिश की।
- रानी लक्ष्मीबाई (गंगाधर राव की पत्नी) ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- 17 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुईं, लेकिन उनका साहस भारतीय इतिहास में अमर हो गया।
स्वतंत्रता के बाद झाँसी
- 1947 में भारत की आजादी के बाद झाँसी उत्तर प्रदेश का हिस्सा बना।
- आज यह एक प्रमुख पर्यटन, शिक्षा और सैन्य केंद्र है।
झाँसी के प्रमुख दर्शनीय स्थल
- झाँसी का किला – रानी लक्ष्मीबाई की वीरगाथा से जुड़ा ऐतिहासिक किला।
- रानी महल – रानी लक्ष्मीबाई का निवास स्थल, जो अब एक संग्रहालय है।
- बरुआ सागर – झाँसी के पास स्थित एक सुंदर झील।
- सेंट जूड्स चर्च – 19वीं शताब्दी का ऐतिहासिक चर्च।
- महाराजा गंगाधर राव की छतरी – राजा गंगाधर राव का स्मारक।
निष्कर्ष
झाँसी भारत के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है, जहाँ की वीर भूमि ने रानी लक्ष्मीबाई जैसी महान योद्धा को जन्म दिया। आज भी झाँसी का नाम आते ही देशभक्ति और साहस की भावना जाग उठती है।
“बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।” – सुभद्रा कुमारी चौहान
क्या आप झाँसी के किसी विशेष पहलू के बारे में और जानना चाहेंगे?